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आरंभिक सिद्धांतकारों का समाजशास्त्र की ओर क्रमबद्ध दृष्टिकोण
डॉ अमित कुमार
Page No. : 160-166
ABSTRACT
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अपनी विविध आवश्यकताओं के लिए मनुष्य दूसरे व्यक्तियों से, समूहों से, समुदायों से अन्त:क्रियात्मक सम्बन्ध स्थापित करता है। व्यक्ति के व्यव्हार एवं समाज में गहरा सम्बन्ध होता है। सदस्यों के बीचआपसी सम्बन्ध उनके परस्पर व्यव्हार पर निर्भर करते है। मनुष्य के विचारों, व्यवाहरों एवं क्रियाओं का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है। व्यक्ति का व्यव्हार सर्वदा एक समान नहीं होता है । एक ही व्यक्ति कई रूपों में व्यव्हार करता हुआ पाया जाता है। उसके विचार, भाव तथा व्यव्हार विविध परिस्थितियों में प्रभावित भी होते रहते है। स्पष्ट है कि मानव व्यव्हार के विविध पक्ष होते है। मनुष्य दूसरों के बारे में अलग-अलग तरह से सोचता तथा प्रभावित होता है। सामाजिक मनोविज्ञान व्यक्ति के व्यवहारों का वैज्ञानिक अध्ययन है। ऐतिहासिक रूप से इसके विकास में समाजशास्त्र और मनोविज्ञान दोनों का ही योगदान है।
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