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‘मानव रत्न‘ प्रोफेसर रमेश और उनके उपलब्ध साहित्य में गजलें
नरेश कुमार वत्स
Page No. : 33-36
ABSTRACT
प्रो रमेश हरियाणा के जाने माने शिक्षाविद्,समाजसेवी,रंगकर्मी व साहित्यकार हैं। उनकी साहित्यिक रचनाएँ उनके अनुभव की प्रयोगशाला से निकली हैं।अन्य साहित्यकारों की तरह उन्होंने पुस्तक प्रकाशन की ओर ध्यान नहीं दिया,जबकि उनकी रचनाएँ उच्च स्तर की रही हैं। उनके पद्य में कईं तरह की रचनाएँ मौजूद हैं,परंतु उनकी गजलें सबसे अलहदा और खूबसूरती लिये हुए है। उनकी गजलें आम आदमी के इर्द-गिर्द घूमती हुई,उसकी रोज मर्रा परेशानियों को रेखांकित करती हैं। उनकी गजलों में श्रृंगार रस न के बराबर है।गजलों की भाषा आम जन की भाषा है। शब्द चयन उत्कृष्ट है और भाव अनुसार है। अंग्रेजी,अरबी,फारसी,ऊर्दू का प्रयोग अनुकूलता अनुसार है। प्रो रमेश ने मतला,मक्ता,काफिया,रदीफ इत्यादि का पूर्ण ध्यान रखा है,पर उनकी गजलों में बह्र की कमी साफ झलकती है।परंतु उनकी कई गजलें बे-बहर की होने के बावजूद भी तरन्नुम के साथ गाई जा सकती हैं एवं उत्कृष्ट श्रेणी में रखी जा सकती हैं।
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