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हरियाणा में स्थित महेन्द्रगढ़ अपने खूबसूरत पर्यटक स्थल प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जनसंख्या कृषि का बदलता प्रारूप और पर्यावरण का संरक्षण
डॉ अनु यादव
Page No. : 24-35
ABSTRACT
आधुनिक कृषि प्रणाली व पर्यावरणीय बदलाव से सम्बन्धित प्रश्नों का हल ढुंढना ही शोध का मूल उद्देश्य है जैसे महेन्द्रगढ़ जिले में सर्वत्र कृषि विकास समान है। क्या शोध क्षेत्र में कृषि विकास की विभिन्नता के लिए प्राकृतिक व सांस्कृतिक पर्यावरण कारक उŸारदायी है? क्या क्षेत्र में सभी जगह कृषि विकास समान है? क्या प्रशासन द्वारा शोध क्षेत्र महेन्द्रगढ़ के सभी जगह योजनाओं को सही ढंग से लागू किया गया है? कृषि योजनाएं प्रारम्भ होने से पहले व प्रारम्भ होने के बाद कोई बदलाव आया है? आधुनिक कृषि प्रणाली में प्रयुक्त साधनों विभिन्न यंत्रो, उपकराों, किटनाशकों, पराली जलाने से पर्यावरण एवं पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव आया है। शोध क्षेत्र महेन्द्रगढ़ में कृषि विकास के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन अपने सही पैमाने पर है आदि सवालो के जवाब खोजना मूल उद्देश्य है। जनसंख्या विस्फोट कृषि विकास व वृद्धि में बहुत बड़ी बाधा है क्योंकि जनसंख्या में गुणोतर वृद्धि हो रही है जबकि कृषि उत्पाद में अंकगणितीय वृद्धि लम्बे समय तक यह चलता रहा तो सबका भरण पोषण होना मुश्किल हो जाएगा। आधुनिक कृषि विकास में परम्परागत तौर तरीकों को अनदेखा करना जैविक व गोबर खाद्य का कम उपयोग रसायनों तथा कीटनाशकों का अन्धाधुंध प्रयोग जिसमें लम्बे समय बाद कृषि उत्पाद में कमी दर्ज की गई है न जमीनें बंजर हो रही है। हमें आवश्यक है उत्पाद बढ़ाने के लिए कृषको को जागरूक करने की जिसमें नवीन तकनीक उŸाम किस्म के बीज, रासायनिक उर्वरक, उच्च तकनीक के कृषि यंत्र व सिंचाई की नवीन प्रणाली फव्वारा अपनाकर ही कृषि को नए आभास तक ले जा सकते है।
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