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नरेश मेहता के गद्य साहित्य की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि

दिनेश भ्याण, डॉ. राजकुमार एस. नाईक
Page No. : 45-49

ABSTRACT

आजादी के पश्चात रहन-सहन, औपचारिकता, विवाह-पद्धति रूढि-परंपरा तथा पारिवारिक स्थिति में बदलाव आया, लेकिन उत्सव और त्योहारों में थोडा ही बदलाव आया। देश में दीवाली, गणेश उत्सव, क्रिसमस जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं। यह सब भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं। भारत धर्म प्रधान देश है। भारत में अलग-अलग जाति, धर्म के लोग रहते हैं। हर धर्म के उत्सव व त्यौहार अलग-अलग हैं। इन सभी धर्मों में व त्यौहारों में भारतीय संस्कृति की झलक दिखाई देती है। डॉ. हेमेन्द्रकुमार के मतानुसार “भारतीय संस्कृति में धर्म का प्रगाढ संबंध है। सामाजिक तथा संस्कृतिक गतिविधियों का मूलाधार भी धर्म ही रहा है। परंपरा में धर्म जीवन के प्रत्यक्ष नहीं देखा गया, भारतीय जीवन की प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से धर्म के प्रति आस्था अपने आप में एक विशेषता रही है।“


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