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तुलसीदास के समाजिक और आर्थिक परिदृश्य पर एक अध्ययन

Ms. Pinki
Page No. : 130-136

ABSTRACT

तुलसीदास जी के समाजिक और आर्थिक परिदृश्य बहुत महत्वपूर्ण हैं। उनका जीवन और लेखन काल छठी से सातवीं सदी के बीच था, जो मध्यकालीन भारत की एक महत्वपूर्ण युग की उत्पत्ति के समय में पड़ता है। तुलसीदास जी के समय में सामाजिक व्यवस्था बहुत संघर्षपूर्ण थी। भारत मे वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था थी, जो समाज के विभिन्न वर्गों को अलग-अलग रखती थी। इसके अलावा, जाति आधारित अन्यता, अज्ञानता, भ्रष्टाचार, दुर्व्यवहार आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता था। तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में सुधार के लिए लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने धर्म की महत्ता और धर्म के द्वारा समस्याओं का समाधान बताया। वे सभी लोगों को एक समान बनाने की बात करते थे और सभी को भगवान के सामने समान बनाने की महत्ता को समझाते थे।


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