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कृषि का बदलता प्रारूप और पर्यावरण का संरक्षण महेन्द्रगढ़ जिले के संदर्भ में : एक दृष्टिकोण
डॉ अनु यादव
Page No. : 64-73
ABSTRACT
कृषि की उत्पत्ति मूल रूप से 4000 ईसा पूर्व द.प. एशिया और अफ्रिका से मानी गई है वास्तव में एशिया महाद्वीप को ही विद्वानों ने कृषि उत्पति स्थल माना है। एशिया व अफ्रिका की बड़ी जनसंख्या की जीविका का साधन कृषि ही है क्योंकि देश की 70 प्रतिशत के आसपास जनसंख्या प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य में लगी है। देश के ज्यादातर उद्योग व जनसंख्या का भरणपोषण कृषि द्वारा ही होता है न केवल कृषि उत्पाद का महत्व यहां तक सीमित है बल्कि पशुओं पशुपालन के साथ-साथ व्यापार का भी आधार है। आधुनिक कृषि विकास और पर्यावरण की गुणवता बनाएं रखना आज सबसे ज्वलंत समस्या है। कृषि का बदलता प्रारूप और पर्यावरण का संरक्षण महेन्द्रगढ़ जिले के संदर्भ में शोध कार्य के अन्तर्गत रखा है। सम्पूर्ण पृथ्वी के धरातलीय क्षेत्र में से केवल 11.2 प्रतिशत भू-भाग पर कृषि कार्य होता है। विश्व में कई स्थानों पर गहन कृषि के साथ-साथ आस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजिल में बड़े पेमाने पर कृषि से ही जुडे़ है। ज्यादातर उद्योग कृषि कार्य से कच्चा माल ग्रहण करते है आज यह अध्याय का विस्तृत विषय है इसलिए कृषि भूगोल व औद्योगिक भूगोल जैसी शाखाओं का विकास हुआ है। मूलतः कृषि का सम्बन्ध विज्ञान से है क्योंकि कृषि क्षेत्र में जो खोज व अनवेषण हुए है उनका दृष्टिकोण वैज्ञानिक है। कृषि व कृषि की क्षेत्रीय विभिन्नता में कई बड़े स्तर पर अन्तर पाया जाना अध्ययन का विषय है।
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