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भारत में शिक्षा के प्रशिक्षण के महत्व पर एक अध्ययन
अमित कुमार श्रीवास्तव, डॉ. सुमन शर्मा
Page No. : 51-57
ABSTRACT
वर्तमान परिदृश्य में, 15-29 आयु वर्ग में हमारी जनशक्ति का केवल 2ः ही औपचारिक रूप से कुशल है। हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि 90ः रोजगार के अवसरों के लिए व्यावसायिक कौशल की आवश्यकता होती है जो हमारे स्कूलों और कॉलेजों में प्रदान नहीं किए जा रहे हैं। ज्ञान आधारित अर्थ व्यवस्था में भारत के परिवर्तन के लिए बहु-कुशल युवाओं की एक नई पीढ़ी की आवश्यकता है। इसकी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त इसके लोगों की ज्ञान को प्रभावी ढंग से बनाने, सांझा करने और उपयोग करने की क्षमता से निर्धारित होगी। एक ज्ञान अर्थव्यवस्था के लिए भारत को श्रमिकों- ज्ञान कार्यकर्ताओं और ज्ञान प्रौद्योगिकी विदों को विकसित करने की आवश्यकता होती है जो लचीले और विश्लेषणात्मक होते हैं और जो नवाचार और विकास के लिए प्रेरक शक्ति हो सकते हैं।
इसे प्राप्त करने के लिए, भारत को एक लचीली शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता हैः सीखने की नींव प्रदान करने के लिए बुनियादी शिक्षा माध्यमिक और तृतीयक शिक्षा मुख्य क्षमताओं और मूल हाथों को विकसित करने के लिए- कौशल और आजीवन सीखने को प्राप्त करने के आगे के साधनों पर। रचनात्मकता को बढ़ावा देकर और सभी स्तरों पर शिक्षा और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करके शिक्षा प्रणाली को नए वैश्विक वातावरण से जोड़ा जाना चाहिए। हाल के वर्षों में हमारे देश में व्यावसायिक शिक्षा अत्यधिक महत्व प्राप्त कर रही है। शिक्षा प्रणाली के परिणाम के रूप में रोजगार की कमी ने कौशल आधारित शिक्षा की आवश्यकता को जन्म दिया है।
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