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गाँधीजी के राष्ट्रवाद और अंतर्राष्ट्रवाद सम्बन्धी विचाररू एक आलेख

1टीना सुमनए 2डॉण् संजय भारद्वाज
Page No. : 5-8

ABSTRACT


यद्यपि गाँधीजी मानवतावादी विचारक थे उनका दृष्टिकोण ष्वसुधैव कुटुम्बकम्ष् का था अर्थात् उनका मानना था कि सम्पूर्ण विश्व एक परिवार हैए परन्तु इसके साथ ही वे राष्ट्र व राष्ट्रवाद के समर्थक थे। उनका कथन था कि मानव जाति के विकास में सार्वजनिक जीवन के अनेक स्तर देखने को मिलते हैं। जैसेए परिवारए जातिए गाँवए प्रदेश और राष्ट्र। इन सबको पार करने के बाद ही विश्व बन्धुत्व या अन्तर्राष्ट्रवाद के अन्तिम आदर्श को प्राप्त किया जा सकता है। अतरू व्यक्ति का सामाजिक कत्र्तव्य परिवार से आरम्भ होता है और मानवता की सेवा तक पहुँचता है।


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