संगीत एवं रोजगारः एक विवेचना
आरती सैनी पत्नी श्री तरूण सैनी
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ABSTRACT
सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, संगीत कहलाती है। गायन, वादन व नृत्य ये तीनों ही संगीत हैं। संगीत नाम इन तीनों के एक साथ व्यवहार से पड़ा है। गान ने अब एक व्यवस्थित रूप ले लिया है। इस कला के प्रादुर्भाव से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। संगीत शिक्षा आने वाले दिनों में अनेक प्रकार के रोजगार उपलब्ध करवा सकती है यदि शिक्षा में संगीत के स्तर को ऊँचा किया जा सके।
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