वेदों में स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा की आधुनिक शिक्षा से तुलना
पिंकी देवी सुपुत्री श्री हवासिंह
Page No. : 60-62
ABSTRACT
मानव तब तक ही उत्तम शिक्षा पा सकता है जब तक वह स्वस्थ है। स्वस्थ विहीन व्यक्ति चाहे जितना भी यत्न कर ले उसका ध्यान एकाग्र होकर शिक्षा प्राप्ति में नहीं लग सकता। बार-बार वह अपने कष्ट को ही याद करता है।
प्रेता जयता नर इन्द्रा वः धर्म यच्छतु।
उग्रा वः सन्तु बाहवोऽनाधरिषया यथासथ1
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