वर्मा जी ने 7वीं से 12वीं शती के मध्य के हिन्दू शासकों से सम्बोधित कथानकों को अपने नाटकों का विषय बनाया है। वर्मा जी ने इस प्रकार के दो नाटक रचित किए हैं- जय आदित्य व सत्य का स्वप्न।
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