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नागार्जुन के उपन्यास साहित्य में साम्यवादी चेतना

सन्तोष कुमारी
Page No. : 1-7

ABSTRACT

स्वतंत्रता के बाद के उपन्यासकारों में सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार बाबा नागार्जुन की रचनाओं में आम आदमी के दुःख दर्द पीड़ा और शोषण के विरोध के आक्रोश का शब्द है। उनके कथापात्र विद्रोही स्वभाव के हैं। नागार्जुन के उपन्यास किसान और मजदूरों की जिंदगी का दस्तावेज हैं। उनके उपन्यासों से स्पष्ट सामाजिक और राजनीतिक सोच जन्म लेती है। उनका कोई भी उपन्यास अधूरा नहीं है। अनमेल विवाह की समस्या हो, किसानों की समस्याएँ हो, उसके लिए दिशा-निर्देश और सुझाव भी नागार्जुन के उपन्यासों में है। नागार्जुन के पात्र अदम्य उत्साह और साहस के साथ अन्याय के खिलाफ संघर्ष करते हैं।


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