कई शताब्दीतकअर्थशास्त्रियों ने सार्वजनिक व्यय कोबहुतही कम महत्वदियाथा।उनका ध्यानकेवलसार्वजनिकआय परहीअधिककेन्द्रितथा।इसकाप्रमुख कारण यह थाकि उस समय तकराज्य कोअधिककार्यें का सम्पादननहींकरनापड़ताथा।परन्तुअबउपर्युक्तस्थितिमंेबदलावाआयाहै, आधुनिकराज्यांेतथाअन्य स्थानीय संस्थाओं की गतिविधियाँ दिनप्रतिदिन बढ़ती जारहीहै।वर्तमान युगमेंसार्वजानिक व्यय कोदोकारणों से अत्यन्तमहत्वप्राप्तहुआहै।प्रथम, वर्तमानराज्यों की आर्थिकक्रियाओंमेंअनेकप्रकार से वृद्धि होगयीहैऔर द्वितीय, अब यह भीअनुभवकियाजानेलगाहैकिकिसीराष्ट्र के आर्थिक जीवन परअर्थात् उत्पादन, वितरणऔरआर्थिकक्रियाओं के सामान्य स्तरपरलोक व्यय की प्रकृति व मात्रा का अत्यन्तमहत्वपूर्णप्रभावपड़ सकताहै।
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