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अटलबिहारीवाजपेयी के काव्य मेंवैश्विकचेतना

रचना, डॉ. अमरज्योति
Page No. : 1-7

ABSTRACT

चेतनामन की वहस्थितिहैजोसमाज के प्रतिहीनहींअपितुसम्पूर्णविश्व के प्रतिसंवेदनशीलरहतीहै।कहने का अभिप्राय हैकिचेतनासमस्तप्रकार के अनुभवों का संग्रहीत रूपहै।हिन्दीसाहित्य में ऐसेबहुत से साहित्यकारहुए हैंजिन्होंनेविभिन्नवैश्विकमुद्दोंकोअपनीचेतना के सहारेसंवेदनशीलता के साथउजागरकियाहै, चाहे वो युद्ध विभिषिका की बातहो, आण्विक युद्धों की बातहो, आंतकवाद का मुद्दाहो, विभाजन की त्रासदीहो, उपनिवेशवाद की समस्यातथाविश्वमेंफैलीभुखमरी एवंगरीबी की समस्या। ये वेवैश्विकमुद्देहैंजिनकेप्रतिविभिन्नहिन्दीसाहित्यकारों ने अपनी-अपनीसंवेदनशीलतादिखातेहुए उनकोउजागरकियाहै।हिंदीसाहित्य मेंअटलबिहारीवाजपेयी एक ऐसेमूर्धन्य साहित्यकारहैंजिनकेकाव्य मेंवैश्विकचेतना के बहुधा दर्शनहोतेहैं।


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