सार्वजनिक व्ययरू एक अध्ययन
डॉ. गायत्री देवी
Page No. : 9-10
ABSTRACT
कई शताब्दी तक अर्थशास्त्रियों ने सार्वजनिक व्यय को बहुत ही कम महत्व दिया था। उनका ध्यान केवल सार्वजनिक आय पर ही अधिक केन्द्रित था। इसका प्रमुख कारण यह था कि उस समय तक राज्य को अधिक कार्यें का सम्पादन नहीं करना पड़ता था। परन्तु अब उपर्युक्त स्थिति मंे बदलावा आया है, आधुनिक राज्यांे तथा अन्य स्थानीय संस्थाओं की गतिविधियाँ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान युग में सार्वजानिक व्यय को दो कारणों से अत्यन्त महत्व प्राप्त हुआ है। प्रथम, वर्तमान राज्यों की आर्थिक क्रियाओं में अनेक प्रकार से वृद्धि हो गयी है और द्वितीय, अब यह भी अनुभव किया जाने लगा है कि किसी राष्ट्र के आर्थिक जीवन पर अर्थात् उत्पादन, वितरण और आर्थिक क्रियाओं के सामान्य स्तर पर लोक व्यय की प्रकृति व मात्रा का अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
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