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ोगिता यादव की कहानी ‘108 वां मनका’ में नारी अस्मिता का मुद्दा

डॉ0 बलजीत कौर, डॉ0 अन्नु
Page No. : 28-33

ABSTRACT

वस्तुतः योगिता यादव के व्यक्तित्व में शील, संकोच, विनय आदि गुणों की मात्रा अधिक है। सबसे स्नेहपूर्ण व्यवहार करने वाले तथा दूसरो के प्रति मन में द्वेष न रखने वाले ऐसे महान व्यक्ति ढूंढने पर भी कम मिलते हैं। उनके बाह्य व्यक्तित्व में कुछ भी ऐसा नहीं है जो कि उन्हें असाधारण सिद्ध कर सके। वास्तव में योगिता यादव नाना प्रकार के अनुभवों से वे संपन्न है। उन्होंने विरासत में मिले अनुभव कोे अनुभूति में परिणत किया। इसलिए इन सब का प्रभाव उनकी कृतियों में पाया जाता है। उन्होंनें अपने कथा साहित्य में भारतीय समाज में प्रचलित पुरूष प्रधान समाज की विकृत मानसिकता को उजागर किया है और नारी समाज से सबंधित सभी मुद्दो को अपने कथा साहित्य में यथा संभव स्थान प्रदान किया है। प्रस्तुतः शोध-पत्र में योगिता यादव की कहानी ‘108 वां मनका’ में नारी अस्मिता के सबंध में बताया गया है।
पहचान निशान


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