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हरिवंशराय ‘बच्चन’ के काव्य मेंविरलन

डालचन्द गुप्ता, डॉ.राजकुमारनाईक
Page No. : 5-9

ABSTRACT

बच्चनजी की काव्य-भाषा का अध्ययन करने के उपरांतस्पष्ट रूप से यह कहाजासकताहैकिबच्चनजी की काव्य-भाषामेंविभिन्नविरलप्रयोग देखनेकोमिलतेहैं।विरलन के अंतर्गतदिए गए निदर्शनोंमेंविरल से सम्बन्धितसभीनियमलागूहोतेहैं।विरलन के नियमानुसारकथनसामान्य न होकरविशिष्टहोताहैऔरजोविचित्र अर्थकोप्रकटकरतेहुए रचना के मूलभाव से जुड़ारहताहै।इसमेंविचलन, विपथनतथासमानांतरता का अभावरहताहैऔरइसकाप्रयोगपूरीरचनामें एक हीबारहोताहै, जोरचना के लक्ष्य कोभेदकरउसेपूर्ण रूप से सपष्टकरनेमेंसहायकहोताहै।


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