साहित्य मानव जीवन की अत्यंत महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। इसने मनुश्य की रूचि को परिश्कृत और उसकी संवेदना को तीव्र किया है। उसे कल्पनाषील और अनुभूति-प्रवण बनाया है तथा अपने स्व का विस्तार करके उसे वृहत्तर समाज के प्रति समर्पित होना भी सिखाया है। समाज को सुन्दर बनाने की साधना को हमारे यहाँ साहित्य कहा गया है। किसी भी देष के सामाजिक, साँस्कृतिक, आर्थिक एवं भौगोलिक विशयों का चित्रण साहित्य में होता है। इसलिए साहित्य को समाज का दर्पण भी कहा गया है। पत्रकार नरेन्द्र मोहन के साहित्य की सांस्कृतिक चेतना के सामाजिक आयाम के अनेक पक्ष हैं। संस्कृति ऐसी एक विषिश्ट दृश्टि है जिससे व्यक्ति और समाज सुसंस्कृत होता है। इस सम्बन्ध में सांस्कृतिक मूल्यों की आवष्यकता पर भी यहाँ विचार करना उचित समझा गया है।
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