भारतीय नारी: आधीआबादी का इतिहास
सुमनरानी
Page No. : 49-56
ABSTRACT
साहित्य औरसंस्कृतिअन्योन्याश्रितहै।हमारीसंस्कृतिमेंनारीकोदेवी के पद परअभिषिक्तकियागयाहै, तोहमारेसाहित्य मेंभीनारी ने देवी से दासीतक की यात्रा तय की।कभीनारी की गौरवगाथा से आसमानतकगूंजउठातोकभीउसकेपतन से पातालकांपगया।प्राचीनकाल से वर्तमानतक यह यात्रा भारतीय नारी की आश्चर्य से परिपूर्णहै।कभीभारतीय नारी की उत्कर्ष की स्थितिहिमालय कोभीलजानेवालीरहीतोकभीउसकाअपकर्षसमुद्र की गहराई से स्पर्धाकरनेलगा। यदिहमनारी की स्थिति की इस यात्रा का अध्ययन करेंतोहमेंनारी की स्थितिअनवरत रूप से पतन की ओरजातीदिखाईदेगी। मुझभारतीय नारी व पर्वतों से निकलकरबहनेवालीनदियोंमेंसाम्यतानजरआतीहै।जिसप्रकारनदीअपनेअमृत रूपी जल से लेकरविभिन्नपहाड़ों, द्वीप रूपी बाधाओं के बीचमें से मार्गबनातीहुई, विभिन्नऊँचाईयों से गहराइयों के थप्पेड़े खातीहुई, अपनेमार्गमेंआनेवालीउत्तम व अनिष्टसभीपदार्थोंकोअपनेदामनमेंसमेटतीहुईर्निउद्देश्य दौड़तीनजरआतीहै। ऐसीहीस्थितिमेरेदेश की आदर्शनारी की है।वहभीअपनेअभ्यंतरमेंप्रेम, स्नेह, वात्सल्य, कोमलता, सहिष्णुता रूपीगुणलेकरविभिन्नकुप्रथाओं, रीति-रिवाज रूपी बाधाओं के बीचपीसतीहुईपरम्पराओं के नाम परथप्पेड़े खातीहुईअपने जीवन रूपीमार्गमेंआनेवालेविभिन्नकटुअनुभवों, अपमानों, अत्याचारोंकोझेलतीहुईउद्देश्य हीनही जीवन व्यतीतकरजातीहै।महिलाओं की स्थिति के विषय मेंलिखीगईमैथिलीशरणगुप्त की उक्तिपूर्णतः उचितप्रतीतहै:-
‘‘अबला जीवन हाय तुम्हारी यहीकहानी
आँचलमेंहैदूध औरआँखोंमेंपानी।’’
सदियों से अन्याय, अत्याचार उपेक्षा, अनादरकोनारी ने अपनीनियतिमानलियाहै।
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