मैक्सिम गोर्की के उपन्यासों में साम्यवादी चेतना
सन्तोष कुमारी
Page No. : 35-44
ABSTRACT
रूस समाजवादी देश बनने के पहले रूस की सामाजिक व्यवस्था भयानक और दम घुटने वाली थी। रूस के पारिवारिक जीवन, समाज व्यवस्था सब बिखरा हुआ था। जन सामान्य की जिंदगी में आशा की किरण बिलकुल नहीं थी। जार का जमाना नाशोन्मुख था और पूँजीवाद का विकसित रूप बिलकुल नहीं था। वहाँ के आवाम की निराशा, मजदूरों की जिंदगी में भी दिखाई देती थी। वे मन बहलाने के लिए स्त्री और शराब का आश्रय लेते थे, जो उन्हें और भी गंदगी में धकेल लेते थे। जिंदगी के प्रति कोई आशा नहीं थी। वोदका पीकर मदहोश होना, स्त्री के प्रति गंदी बातें करना ये सब मजदूरों के लिए मन बहलाने की चीजें होती थी-यही सब बातें गोर्की उन्हीं के बीच में रहकर समझ पाया था। मजदूरों की जिंदगी से वे तरस भी खाते थे।
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