Archives

  • Home
  • Archive Details
image
image

वर्गीकरण की दृष्टि से मिथकों का अध्ययन

राकेश कुमार त्रिपाठी
Page No. : 25-34

ABSTRACT

मथक मूलतः पश्चिम की देन है। अतः पाश्चात्य विचारकों ने धार्मिक, साहित्यिक, नृवैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक मिथकों पर अपने विचार व्यक्त किये हैं। यहां मिथकों आदिम संस्कृति का महत्वपूर्ण उपादान स्वीकारा गया है जिनसे सांस्कृतिक आस्थाएँ एवं नैतिकताओं का पोषण हेाता है। इन्हें मात्र आदर्श नहीं अपितु जीवन के यथार्थ के आईने के रूप में देखा गया है। पाश्चात्य विचारकों में जुंग, विलियम ट्राय, मैलिनोवोस्की, रस्किन, ए.जी.गार्डनर आदि विचारकों ने इन पर महत्वपूर्ण विचार दिये हैं। उन विचारों के आलोक में एक बात जो स्पष्ट रूप से उभर कर आती है, वह यह है कि मिथक मात्र गल्प नहीं, रहस्य नहीं, आस्था और विश्वास भी नहीं, अपितु तत्कालीन संस्कृति व समाज का वह दर्पण हैं जिनमें अतीत का बिम्ब ही प्रतिबिम्बित होता है और उस बिम्ब से हम अपनी जातीय परम्पराओं एवं संस्कृति की नैतिकताओं को सुरक्षित कर भविष्य के लिये उज्ज्वल दिशा सुनिश्चित कर सकते हैं। यह सांस्कृतिक जातीय अतीत प्रामाणिक और अप्रामाणिक दोनों रूपों में उपलब्ध होता है। प्रथम इतिहास रूप में और दूसरा लेाकश्रुति या प्रचलित मान्यताओं, कथाओं आदि के रूप में। दूसरे रूप में विश्वास एवं आस्था ही उसे जीवन्त बनाये रखती है।  


FULL TEXT

Multidisciplinary Coverage

  • Agriculture
  • Applied Science
  • Biotechnology
  • Commerce & Management
  • Engineering
  • Human Social Science
  • Language & Literature
  • Mathematics & Statistics
  • Medical Research
  • Sanskrit & Vedic Sciences
image