स्वयं डॉ॰ रामकुमार जी ने सरजा शिवाजी नाटक के सम्बन्ध में ‘इस नाटक के विषय में’ शीर्षक भूमिका में ये विचार विस्तार से वर्णित किए हैं, ”इस नाटक में वीर शिवाजी के चरित्र का एक विशिष्ट पार्श्व है, जो उनके अनोखे व्यक्तित्व पर प्रकाश डालता है। जीवन की एक भयानक त्रासदी में विवशता की असहाय परिस्थिति में भी उन्होंने जिस साहस और क्रिया-कौशल का परिचय दिया, वह औरंगज़ेब जैसे नीति-निष्णात व्यक्ति को भी कौतूहल और आश्चर्य में डाल देने वाला था। नाटक लिखने में मेरी दृष्टि भी यही रही है कि हमारे देश का प्रत्येक नवयुवक भयानक-से-भयानक परिस्थिति में अपना सन्तुलन न खो दे और अपने बुद्धि-कौशल से ऐसा मार्ग निकाल सके, जिससे न केवल उसकी वरन् देश के गौरव की रक्षा हो सके।
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