शिक्षा का वास्तविकअर्थमानव के संतुलितविकासमेंनिहितहैअर्थात् जिससेमानव का शारिरिक, मानसिक, भौतिक एवंनैतिक शक्तियों का विकासहोताहै, उसेशिक्षा कहाजाताहै। यह निःसंदेहसत्य हैकिमहिला या स्त्री शिक्षा मानवकल्याणतथामानवउत्थानहेतूअधिकमहत्वपूर्ण व आवश्यक है।शिक्षा मानव जीवन का प्रमुख अंग है।शिक्षा व्यक्ति की जन्मजात शक्तियों के स्वाभाविकऔरसामजंस्यपूर्णविकासमें योगदानदेतीहै।उसकीव्यक्तिकता का पूर्णविकासकरतीहै, उसेअपनेवातावरणमेंसामजंस्य स्थापितकरनेमेंसक्रिय सहयोगदेतीहै।शिक्षा के द्वारा न केवल एक राष्ट्र की महिला एवंकमजोरवर्गकोसशक्तबनायाजासकताहै, बल्किउसकासर्वांगीणविकासहीइसके द्वारासंभवहै।शिक्षा सभ्य समाज का प्रतीकइसीकारणमानीजातीहैकिउसमेंव्यक्तिअपनी जीवन शैली का विकासअन्याय, अपराध, अनाचारदबाव, दमन, उत्पीड़नवभय आदिकुरीतियों से बचकरकरसकने की क्षमता रख पाताहै।
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