कथाजन्य लंबी कविता-जजीविषा की पूजा: ‘‘राम की शक्तिपूजा’’
राजेश, डॉ.राजकुमार नाईक
Page No. : 42-46
ABSTRACT
कथाजन्य लंबी कविताओं के केन्द्र में कोई कथा होती है जिसके माध्यम से कवि अपने मन के भाव की अभिव्यक्ति देता है। यद्यपि लंबी कविताओं की शुरूआत छायावादी युग में हुई तथापि आधुनिक लंबी कविताओं का रूप उससे बिल्कुल भिन्न है। फिर भी आधुनिक लंबी कविताओं के विकास-पथ में ये कविताएं पूर्व पीठिका अवश्य निभाती हैं। ‘‘परिवर्तन’’ को छोड़कर अन्य छायावाद युगीन लंबी कविताएं आख्यान से जुड़ी हुई हैं। पंत, प्रसाद और निराला की लंबी कविताओं की रचना के पीछे निश्चय ही उनका क्रान्तिदर्शी व्यक्तित्व सक्रिय रहता है। ये कवि अपने समय के सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक परिस्थितियों से संत्रस्त जन-जीवन का उद्धार और सुधार करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने जन-साधारण के मन की गहराई में अटल रहने वाले इतिहास एवं पुराण के नैतिक चरित्रों की कथाओं को सृजन के धरातल पर खड़ा कर दिया है। प्रसाद की ‘‘प्रलय की छाया’’ में ऐतिहासिक आधार पर ‘‘कमला’’ के मानसिक द्वन्द्व और संघर्ष की अभिव्यक्ति की गयी है। निराला की ‘‘राम की शक्तिपूजा’’ और नरेश मेहता की ‘‘संशय की एक रात’’ जैसी कविताओं में पौराणिक पात्र राम के जीवन की जटिल और तनाव पूर्ण स्थितियों को प्रस्तुत करके आधुनिक मानव की त्रासदी को उजागर करने का कार्य किया गया है। नयी कविता के पुरोधा कवि अज्ञेय ने अपनी ‘‘असाध्यवीणा’’ में एक जापानी लोक कथा के आधार पर सृजन के पीछे सक्रिय आत्म-समर्पण की स्थिति को प्रस्तुत किया है।
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