ज्ञानसिंह मान के उपन्यासों में धार्मिक मूल्य
अजमेर, डॉ.जयलक्ष्मी पाटील
Page No. : 31-36
ABSTRACT
सामाजिक परम्पराएँ भी तो प्राणी के दुःख का कारण बनी हैं, इतिहास साक्षी है। यही क्यों, धर्म तथा राजनीतिक सिद्धान्त भी तो सुखमय जीवन के लिए विस्फोटक पसीना सिद्ध हुए हैं? इन प्रवृत्तियों का विनाशकारी नृत्य देखने के लिए व्यक्ति को अंतर्मन में झांकना नहीं पड़ता। टेªजिडी महापुरुषों के असफल प्रयास का ही परिणाम है। जब कोई महती आकांक्षा पराजय का मुख देखती है, सर्वसाधारण का दुःख दैन्य का भी सहज प्रसार होता है। यही है ‘टेªजिडी’ का मूलभाव है।
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