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तबलावादनरूसुगमसंगीत का एक माध्यम

डॉ.नीलूरानी
Page No. : 24-29

ABSTRACT

तबलाभारतीय संगीतमेंप्रयोगहोनेवाला एक तालवाद्य हैजो मुख्य रूप से दक्षिण एशियाईदेशोंमेंबहुतप्रचलितहै। यह लकड़ी के दो ऊर्ध्वमुखी, बेलनाकार, चमड़ा मढ़े मुँहवालेहिस्सों के रूपमेंहोताहै, जिन्हें रख करबजायेजाने की परंपरा के अनुसारदायाँऔरबायाँ कहतेहैं। यह तालवाद्य हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीतमेंकाफीमहत्वपूर्णहैऔरअठारहवींसदी के बाद से इसकाप्रयोग शास्त्रीय एवं उप शास्त्रीय गायन-वादनमेंलगभगअनिवार्य रूप से होरहाहै।इसकेअतिरिक्तसुगमसंगीतऔरहिंदीसिनेमामेंभीइसकाप्रयोगप्रमुखता से हुआहै। यह बाजाभारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, औरश्रीलंकामेंप्रचलितहै।पहले यह गायन-वादन-नृत्य इत्यादिमेंतालदेने के लिए सहयोगी वाद्य के रूपमेंहीबजाय जाताथा, परन्तुबादमेंकईतबलावादकों ने इसे एकलवादन का माध्यम बनायाऔरकाफीप्रसिद्धि भीअर्जितकी।


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