शिक्षा का संकुचित, व्याप्क एवं विश्लेषणात्मक अर्थ
Janak Rani, Dr. B.B. Khot, Dr. Rajender Kumar
Page No. : 76-81
ABSTRACT
हम देश में रहें अथवा विदेश में शिक्षा प्रत्येक स्थान पर हमारी सहायता करती है। इस प्रकार जीवन की भांति शिक्षा हमारे लिए क्या-क्या करती है, जानना अनिवार्य है। शिक्षा वह प्रकाश है जिसके द्वारा बालक की समस्त शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है। इससे वह समाज का एक उतरदायी घटक एवं राष्ट्र का प्रखर चरित्र सम्पन्न नागरिक बनकर समाज की सर्वांगीण उन्नति में अपनी शक्ति का उत्तरोतर प्रयोग करने की भावना से ओत-प्रोत होकर संस्कृति तथा सभ्यता को पुनर्जीवित एवं पुनस्र्थापित करने के लिए प्रेरित हो जाता है।
जिस प्रकार एक ओर शिक्षा बालक का सर्वांगीण विकास करके उसे तेजस्वी, बुद्धिमान, चरित्रवान, विद्वान तथा वीर बनाती है, उसी प्रकार दूसरी ओर शिक्षा समाज की उन्नति के लिए भी एक आवश्यक तथा शक्तिशाली साधन है। दूसरे शब्दों में व्यक्ति की भांति समाज भी शिक्षा के चमत्कार से लाभान्वित होता है। जब ऐसी भावनाओं तथा आदर्शों से भरे हुए बालक तैयार होकर समाज अथवा देश की सेवा का व्रत धारण करके मैदान में निकलेंगे तथा अपने जीवन में त्याग से अनुकरणीय कार्य करेंगे तो समाज भी निरन्तर उन्नति के शिखर पर बढ़ता रहेगा।
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