Archives

  • Home
  • Archive Details
image
image

प्रेमचंद के उपन्यासों में व्यक्त सामाजिक कुरीतियां पर अध्ययन

सचिन, डॉ. मुकेश कुमार
Page No. : 73-79

ABSTRACT

प्रेमचंद के उपन्यास हिन्दी साहित्य में एक नये युग की शुरुआत करती है। साहित्यिक परिदृश्य पर प्रेमचंद के आगमन और प्रस्थान की भी अपनी अलग अहम भूमिका रही है। उन्होंने साहित्य में विशेषकर कहानी एवं उपन्यास को एक नया रूप दिया। उन्होंने हिन्दी के विद्वानों के लिए गुणात्मक रूप से एक नये युग की शुरुआत की। वास्तव में अब तक प्रेमचंद साहित्य की विवेचना प्रायः अपूर्ण रूप में होती थी। जबकि प्रेमचंद साहित्य का मूल्यांकन उनके साहित्य के विविध पक्षों- उर्दू साहित्य में प्रेमचंद, हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद, अन्य भारतीय भाषाओं में प्रेमचंद, भारतेत्तर देशों में प्रेमचंद, उपन्यासकार के रूप में प्रेमचंद, कहानीकार के रूप में प्रेमचंद, समकालीन राजनीतिक की पृष्ठभूमि में प्रेमचंद, दलित विमर्श की दृष्टि से प्रेमचंद, स्त्री विमर्श के निकष (कटौती) पर प्रेमचंद, आज की भूमंडलीय विश्व नागरिकता के संदर्भ में प्रेमचंद आदि विभिन्न स्तरों पर प्रेमचंद के साहित्य का समग्र मूल्यांकन होना चाहिए। 
हिन्दी साहित्य जगत के श्रेष्ठ उपन्यासकार प्रेमचंद स्वयं पाश्चात्य लेखकों से खास प्रभावित थे। जर्मन आलोचक सीग्फ्रीड ए.शुल्स ने कहा है कि- प्रभाव, प्रेरणा, समानता की दृष्टि से यद्यपि प्रेमचंद उस युग की साहित्य चर्चा के प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए, अपने लेखन पर लियो-तोलस्तोय, विक्टर ह्यूगो, रोम्या रोलां, मैक्सिम गोर्की और रविन्द्रनाथ ठाकुर के प्रभाव का उल्लेख किया करते थे, उन पर चार्ल्स डिकेन का प्रभाव अधिक था। विशेषतः ‘गोदान की संरचनात्मक विशेषताएँ चार्ल्स डिकेन के कुल उपन्यासों की संरचनात्मक विशेषताओं से अधिक साम्य रखती है। .. प्रेमचंद की कृतियों का पश्चिमी भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है। जिनमें से गोदान का अंग्रेजी अनुवाद विशेष उल्लेखनीय है।


FULL TEXT

Multidisciplinary Coverage

  • Agriculture
  • Applied Science
  • Biotechnology
  • Commerce & Management
  • Engineering
  • Human Social Science
  • Language & Literature
  • Mathematics & Statistics
  • Medical Research
  • Sanskrit & Vedic Sciences
image