किसी भी व्यक्ति के जीवन में किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण अवस्था होती है जो आवेग, जोश, संवेदनशीलता व उत्साह से भरपूर एक परिवर्तन की अवस्था होती है। किशोर अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण काल में अपनी प्रतिभा, क्षमता व व्यक्तित्व विकास की आधारशीला रखता है। अतः उनके लिये चिंता, भय, तनाव व अस्थिरता का प्रदर्शन स्वाभाविक है। सामाजिक अधिगम के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस अवस्था में किशोर उसके समक्ष प्रस्तुत प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष सामाजिक मॉडलों का अनुसरण करने हेतु प्रवृत्त होता है। सांवेगिक रूप से ऊथल-पुथल की इस अवस्था में वह नकारात्मक प्रारूपों के प्रति भी आसानी से आकर्षित होता है। टी.वी. व्दारा लोगों के समक्ष ऐसे कई मॉडल प्रतिदिन प्रस्तुत किये जाते हैं, जो उनमें सामाजिक रूप से नकारात्मक व्यवहारों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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