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राजा अजीत सिंह और खेतड़ी ठिकाने पर एक अध्ययन

अश्वनी राज, डॉ. जयवीर सिंह
Page No. : 111-117

ABSTRACT

खेतड़ी ठिकाने की शासन-व्यवस्था में पुलिस का विशेष योगदान था। खेतड़ी ठिकाने की स्वयं की पुलिस एवं पर्याप्त मात्रा में सेना थी। यह व्यवस्था खेतड़ी के अलावा कुछ बड़े ठिकानों में ही थी। खेतड़ी ठिकाने में खेतड़ी, चिड़ावा व कोट तीन कोतवली थीं। कोतवाल के नीचे थाने होते थे। सीमा पर पुलिस चौकियाँ होती थीं। अंग्रेजी सरकार द्वारा खेतड़ी ठिकाने में एक करौल नामक उच्च अधिकारी नियुक्त किया था। उसने खेतड़ी ठिकाने को एक नया स्वरूप देकर सँवारा था।
खेतड़ी ठिकाने में दंड देने का कार्य न्यायालय ही करते थे। ठिकाने का दंड विधान आज से भिन्न था। पेड़ से लटकाना, काठ में देना आदि कठोर दंड दिये जाते थे। चोरियों के मामले में विशेष सख्ती बरती जाती थी। चोरी करने वाली जाति को ठिकानेदारों ने चौकीदारों के स्थान पर नियुक्त करके चोरियाँ कम करवा दी थीं। साधारण झगड़े गाँव के चौधरियों द्वारा ही सुलझा लिये जाते थे। अन्तिम फैसला नरेश का ही होता था। परन्तु खेतड़ी नरेश की प्रशासन व्यवस्था इतनी अच्छी थी कि एक-दो मुकदमों को छोड़कर कोई भी मुकदमा राजा के पास नहीं आता था। फौजदारी न्यायालयों में मुख्य रूप से हत्या, डकैती जैसे गंभीर मामले आते थे। उसमें आजन्म कारावास की सजा का प्रावधान था। यह मामला सैशन कोर्ट में चलता था। जिसकी आगे की सुनवाई जयपुर कोर्ट में ही हो सकती थी। ठिकानों की आय का प्रमुख साधन लगान था। खेतड़ी जयपुर रियासत का पहला ठिकाना था, जहाँ की भूमि व्यवस्था आजकल की व्यवस्था के समान थी।


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