‘‘वैदिक संहिताओं में राजा को एकएक राज्य का जन्म स्थान तथा उसका केन्द्र बताया गया है। राजा के अभाव में देष तथा देष के अभाव में राजा नहीं होते हैं। प्राचीन भारत में राजा का निर्वाचन होता था या नहीं, इस पर बहुत मतभेद है। वैदिक काल प्रारम्भ में अवष्य निर्वाचन सम्बन्धी कुछ उल्लेख प्राप्त होते हैं। राजा की नियुक्ति जनता द्वारा की जाती थी या समिति के द्वारा या यह पद आनुवंषिक था इस सम्बन्ध में वैदिक संहिताओं में अलग-अलग व्याख्या की गयी हैै।’’
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