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मोहन राकेश के नाटकों में स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों की विडम्बना और एक दूसरे के अभाव की रिक्तता

अनिता
Page No. : 44-49

ABSTRACT

आज के आधुनिक युग में परिवार के परिप्रेक्ष्य में नारी की मानसिकता में क्रंातिकारी परिवर्तन किया है। समाज, परिवार और वैयक्तिकता के संदर्भ में राकेष के नारी पात्रों की मानसिकता को उद्घाटित करने से स्पश्ट होता है कि वह आन्तरिक और बाहय दोनो ही स्तरों पर अपनी वर्तमान परिस्थितियों की निर्माता होते हुए भी उसकी नियंता नही हो पाती। मोहन राकेष के नारी पात्र आधुनिक संदर्भो से अछूते नही है। राकेष ने अपने नारी पात्रों के चरित्रो के माध्यम से आज के आदमी की एकंातिक पीड़ा, आन्तरिक बैचनी, भीड़ के बीच अनजान और निर्वासिंत होकर जीने की विवशता, अपने आप को सुरक्षित रखने की ललक को आत्मसात कर व्यक्ति घटना और परिस्थिति को एक व्यापक संदर्भ में देखा पहचान है। षहरी वातावरण में ‘पति-पत्नी के एक दूसरे से दूर जाने और जुड़े रहने की प्रक्रिया दिखाकर आधुनिकता को स्पश्ट किया है।


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