हरित क्रान्ति ने निश्चित रूप से सम्पूर्ण हरियाणा के कृषि विकास को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी कारण हरियाणा की खाद्यान्नों में उत्पादन में सम्मानजनक स्थिति उमड़ी है। इसी लाभ को बरकरार रखते हुए ऐसी व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है, जिससे सामाजिक न्याय में सुधार हो सके। इस कमी के लिए देश की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों एवं संस्थागत कारक उत्तरदायी हैं, जिसमें समुचित सुधार की आवश्यकता है। इसी प्रकार जहाँ तक अधुनातन प्रौद्योगिकी के अपनाये जाने का प्रश्न है, उसे भली भाँति जाँच परखकर हरियाणा की अनुकूल जलवायु परिस्थितियों को समायोजित कर प्रयोग किया जाना चाहिए तभी सही मायनों मंे कृषि विकास के साथ-साथ मानव के जीवन स्तर एवं गुणवत्ता मंे विकास हो सकेगा। कुछ कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं को देखते हुए देश को पुनः एक नयी हरित क्रान्ति की जरूरत है।
Copyright © 2025 IJRTS Publications. All Rights Reserved | Developed By iNet Business Hub