जनजातीय समाज की तरह मैथिल समाज स्पष्ट रूप से स्त्री प्रधान तो नहीं है लेकिन परिवार के भीतर होने वाली निर्णयों में स्त्री की प्रमुखता निष्चित रूप से रहती है। इस मामले में इसकी तुलना बंगालियों के समाज से की जा सकती है। ये दोनो समाज प्रत्यक्षतः पुरूष प्रधान हैं लेकिन वास्तविक सत्ता स्त्रियों के हाथ में होती है। इसके वीभत्स रूप को रेणु ने प्रजासत्ता कहानी में चरित्र किया है ।
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