विश्व के सभी व्यक्ति सुख तथा षान्ति चाहते हैं परन्तु आष्चर्य है कि आज विष्व में सुख तथा षान्ति के स्थान पर अषान्ति तथा दुःख बढ़ते जा रहे हैं। वर्तमान भौतिकवादी युग ने जहॉ व्यक्ति को षारीरिक सुख तथा सुविधाएॅ प्रदान की हैं वहॉ दूसरी ओर मानसिक तनाव तथा अषान्ति भी बढ़ी है। व्यक्ति, राष्ट्र ही नहीं पूर्ण विष्व इस बात पर सहमत है कि विष्व में षान्ति स्थापित चाहिए। यह षान्ति कैसे स्थापित हो इस बात को लेकर सभी असमंजस की स्थिति में है।
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