नरेन्द्रमोहन के नाटकों का संक्षिप्तपरिचय
सुदेश
Page No. : 61-67
ABSTRACT
नरेन्द्रमोहन ने अपनेनाटकों के माध्यम से आज के मनुष्य औरसमाजको समझने, उनकीविसंगतियोंऔरतनावकोउभारने का प्रयासप्रमुख रूप से कियाहै।वेअपनेनाटकोंमेंनिर्भिकता के साथवर्तमान के जटिलप्रश्नों से जूझतेदिखाईदेतेहै।सामाजिकदबावों के प्रतिफलनमें ये नाटकइतिहास की ओरमुड़तेहुए भी युगीनआकांक्षाओंकोसार्थकताप्रदानकरतेहै।नरेन्द्रमोहन के प्रायः सभीनाटकसत्य के अन्वेषीहैजिसमेंउन्होनेंराजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, मनोवैज्ञानिक, सांस्कृतिकतथामानवीय आदिसंदर्भोकोउभारने का प्रयासप्रमुख रूप से कियाहै।नरेन्द्रमोहन के काव्य मेंकहीं न कहींप्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपमेंनाट्य स्पन्दितरहाहैजोअन्ततः नाटक की रचना के रूपमेंप्रस्फुटितहुआहै। ‘‘नरेन्द्रमोहन के नाटकआज के विश्रृंखलऔरउच्छृंखलसमाज के बहुविध रूपों, मुखौटोंऔरव्यवहारों की खुलीतथाव्यंग्यपूर्णदृष्टि से देखने, खबरलेने के सचेष्टप्रयासहै।अपनीविषय वस्तु के अनुरूपही उनके नाटकों के संवादीय तेवरभी देखेजासकतेहै। ये तेवरस्थिति के अनेसारबदलतेहैअथवास्थितियाँ इनके अनेसारबदलतीहै।’’
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