उदारवादीसोच ने निजीकरण व वैश्वीकरणकोजन्मदिया। इस प्रवाह ने दुनिया व उसकीसोचपरसकारात्मक एवंनकारात्मकदोनोंप्रकार से प्रभावडाले।मूलतः आर्थिकसोच ने समाज के मूल अंग स्त्री कोबाजारीकरणमें धकेलदिया। यह एक ताकत के साथबाजार की वस्तुभीबनादीगई, यह न केवलभारतबल्किपूरीदुनियामेंहुआ । शोध पत्र में स्त्री यौनदासता, धन की गुलाम स्त्री की स्थिति का अध्ययन कियागयाहै, साथहीकामकाजीस्त्रियों की स्थितिपरभूमण्डलीकरण के प्रभाव का विश्लेषणात्मक अध्ययन कियागयाहै।
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