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वर्तमान संदर्भ में संगीत शिक्षण की समस्या तथा नई विधियों एवं सृजनात्मक तत्वों पर विचार

Dr. Chanderpal Punia
Page No. : 41-46

ABSTRACT

जीवन में किसी भी विषय का बोध शिक्षा द्वारा ही संभव 
है । हर विषय को सीखने-सिखाने का ढंग अलग है । शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान न होकर मानव के वास्तविक जीवन से जुड़ी है । बालक की जन्म से ही शिक्षा प्रारम्भ हो जाती है । जब मां बालक को चलना, बोलना, खाना, पीना सिखाती है तो यह शिक्षा के अन्तर्गत आता है । संगीत में शिक्षा का अर्थ केवल स्वर-ताल युक्त धुनों या रागों को सिखाना मात्र नही है, वरन् सारगर्भित रूप में संगीत के साधना-पक्ष में विद्यार्थी की श्रद्धा व आस्था उत्पन्न करना, संगीत के प्रयोगों के प्रति विशाल दृष्टिकोण अपनाते हुए उसके लालित्य और रस तत्व के प्रति सचेत रहना तथा संगीत के उचित विकास के लिए प्रयत्नशील रहना है। 


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