यह शोध पत्र दक्षिण पूर्व एशियाई देश वियतनाम में भारतीय हितों और दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव व उसके नापाक इरादों पर आधारित है। चीन की बढ़ती क्षमता, साम्राज्यवादी व विस्तारवादी मानसिकता और भविष्य के खतरे की कल्पना के ध्यानार्थ भारत को वियतनाम और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में अपनी उपस्थिति के महत्व को गम्भीरतापूर्वक लेना होना। क्योंकि चीन ने हिन्दमहासागर में भारत की सामुद्रिक सीमा के बाहरी क्षेत्र में पनड़ुब्बियाँ तैनात कर भारतीय सुरक्षा को खतरा पैदा कर दिया है। भारत को भी तेल, गैस तथा अन्य बहुमूल्य खनिजों से सम्पूर्ण दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में अपने आर्थिक व सामरिक संबंधों में मजबूती लानी होगी। चीन से लगातार मिल रही चुनौती पर अंकुश लगाने के लिए भारत को वियतनाम, लाओस, कम्बोड़िया, फिलीपींस, जापान, दक्षिण कोरिया आदि चीन विरोधी देशों के साथ आर्थिक व सामरिक संबंधों का विकास करने से इस क्षेत्र में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका का पता चलता है।
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