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भारत के भू-आकृतिक प्रदेश

रीतु
Page No. : 37-41

ABSTRACT

भारत पूरी तौर पर भारतीय प्लेट के ऊपर स्थित है जो भारतीय आस्ट्रेलियाई प्लेट (प्दकव-।नेजतंसपंद च्संजम) का उपखण्ड है। प्राचीन काल में यह प्लेट गोंडवानालैण्ड का हिस्सा थी और अफ्रीका और अंटार्कटिका के साथ जुड़ी हुई थी। तकरीबन ९ करोड़ वर्ष पहले क्रीटेशियस काल में यह प्लेट १५ से॰मी॰ध्वर्ष की गति से उत्तर की ओर बढ़ने लगी और इओसीन पीरियड में यूरेशियन प्लेट से टकराई। भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के मध्य स्थित टेथीज भूसन्नति के अवसादों के वालन द्वारा ऊपर उठने से तिब्बत पठार और हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। सामने की द्रोणी में बाद में अवसाद जमा हो जाने से सिन्धु-गंगा मैदान बना। भारतीय प्लेट अभी भी लगभग ५ से॰मी॰ध्वर्ष की गति से उत्तर की ओर गतिशिईल है और हिमालय की ऊंचाई में अभी भी २ मि॰मी॰ध्वर्ष कि गति से उत्थान हो रहा है। भूगर्भिक संरचना, भौतिक आकृति तथा स्थिति को आधार मान कर प्रोफेसर आर0 एल0 सिंह ने अपनी पुस्तक श्इण्डिया - अ रेजनल जिओग्रैफीश् में भारत को चार बड़े भू-आकृतिक प्रदेशों में विभाजित किया है। जो निम्नलिखित हैंः-
(१) उत्तरी पर्वत (ज्ीम छवतजीमतद डवनदजंपदे)
(२) विशाल मैदान (ज्ीम ळतमंज च्संपदे)
(३) प्रायद्वीपीय उच्च भूमि (ज्ीम च्मदपदेनसंत न्चसंदके)
(४) भारतीय तट तथा द्वीप (ज्ीम प्दकपंद ब्वंेजे ंदक प्ेसंदके)


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