भारत में संगीत का धर्म से अलगाव कभी नहीं हुआ बल्कि हर काल व परिस्थिति में संगीत तथा ईश्वर स्तुति एक ही सिक्के के दो पहलु की तरह रहे हैं। धर्म का कोई भी पथ हो, सभी उस एक परम शक्ति की आराधना संगीत द्वारा आरती, भजन, कीर्तन स्तुति करते हैं। यदि हम ईश्वर तक पहुँचना चाहते हैं तो संगीत के माध्यम को पकड़ ले। ऐसी दिव्य शक्ति संसार में अन्य किसी भी माध्यम से नहीं मिलती, जैसे संगीत से मिलती है। संगीत का धर्म से अटूट सम्बन्ध है। आज के वैज्ञानिक युग में भी संगीत के माध्यम से धर्म का प्रचार व प्रसार हो रहा है। हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि संगीत व धर्म का सम्बन्ध प्राचीन समय से अविरल रूप में चलता आ रहा है।
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