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आलोचक रामविलास शर्मा की दृष्टि में ‘निराला’
डॉ० बलबीर सिहँ
Page No. : 50-56
ABSTRACT
रामविलास शर्मा ‘निराला’ की साहित्य यात्रा के सच्चे और निष्पक्ष सहचर है। वे उनके दुःखी जीवन को देखकर भावुक नहीं होते बल्कि उनकी जिजीविषा के कायल हैं। भाषा, समाज और राष्ट्र के प्रति निराला की दृष्टि को रामविलास शर्मा ने अपनी समीक्षा में उतारा है तथा निराला के जीवन के अन्तरंग पहलुओं को निष्पक्षता के साथ प्रदर्शित किया है उनकी दृष्टि में निराला केवल एक व्यक्ति ऋषि और गद्यकार नहीं है, बल्कि एक सच्चे साहित्य साधक हैं, जिन्होंने न केवल अपनी साहित्य साधना से सरस्वती माँ के भण्डार को भरा है, बल्कि व्यक्ति के लिए भी जीवन की नई राह खोजी है। वस्तुतः रामविलास की निष्पक्ष, पारखी एवम् सौंदर्यपूर्ण दृष्टि ने निराला जैसे हाशिये पर पड़े कवि को एक बड़े साहित्य साधक के रूप में स्थापित किया है और निराला की यह स्थापना समालोचक रामविलास शर्मा की दृष्टि में अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं है, बल्कि सही समालोचना की उपज है।
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