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वैदिक काल से वर्तमान युग तक नारी की स्थिति
ज्योति ग्रोवर, डॉ. पटेल सिंह
Page No. : 50-59
ABSTRACT
इस शोध पत्र में वैदिक काल से लेकर वर्तमान युग तक नारी की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक स्थिति का विस्तृत अध्ययन किया गया है। यह अध्ययन विभिन्न ऐतिहासिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संदर्भों के माध्यम से यह समझने का प्रयास करता है कि समय के साथ नारी की भूमिका और स्थान में किस प्रकार के परिवर्तन आए हैं। वैदिक काल में नारी को समाज में सम्मानजनक एवं सशक्त स्थान प्राप्त था। उस समय महिलाएँ न केवल शिक्षित थीं, बल्कि वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन-अध्यापन का अधिकार भी रखती थीं। गार्गी, मैत्रेयी और लोपामुद्रा जैसी विदुषी महिलाओं का उल्लेख इस तथ्य को प्रमाणित करता है कि वैदिक युग में स्त्रियों को बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से उन्नत माना जाता था। वे सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। हालांकि, उत्तर वैदिक काल से लेकर मध्यकाल तक नारी की स्थिति में धीरे-धीरे गिरावट देखी गई। इस काल में पुरुष-प्रधान सामाजिक व्यवस्था अधिक प्रभावी होने लगी, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं के अधिकार सीमित कर दिए गए। कन्यादान, सती प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा जैसी कुप्रथाओं ने महिलाओं की स्वतंत्रता को बाधित किया। शिक्षा से वंचित किए जाने के कारण उनके बौद्धिक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। ब्रिटिश शासन के दौरान महिलाओं की स्थिति में कुछ सुधार के संकेत मिले, जब समाज सुधारकों जैसे राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों के लिए संघर्ष किया। महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर मिलने लगे और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई जाने लगी। आधुनिक युग में, महिला सशक्तिकरण की दिशा में अनेक प्रयास किए गए हैं, जिनमें शिक्षा, रोजगार, राजनीति, और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कानून एवं नीतियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। संविधान द्वारा दिए गए समान अधिकारों, महिला सशक्तिकरण योजनाओं, और बदलते सामाजिक दृष्टिकोण के कारण महिलाओं की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। आज महिलाएँ राजनीति, विज्ञान, तकनीक, खेल, कला, व्यापार और अन्य क्षेत्रों में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही हैं। इस प्रकार, नारी की स्थिति में समय के साथ अनेक उतार-चढ़ाव आए हैं। वैदिक काल में जहाँ उन्हें सम्मान और स्वतंत्रता प्राप्त थी, वहीं मध्यकाल में उनकी स्थिति कमजोर हुई। किंतु आधुनिक समय में शिक्षा और जागरूकता के कारण महिलाओं ने पुनः सशक्त भूमिका प्राप्त की है और समाज में अपने अधिकारों को स्थापित किया है।
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